एक बार, मिस्टर त्रिपाठी, टेलर की दुकान पर गए। वो शहर के सबसे पुराने दर्जी थे। उनके पास, आधुनिक मशीनें नहीं थी। जमीन पर रखी छोटी मशीन से कपड़े सिलते, लेकिन फिर भी, उनके जैसे कपड़े कोई और टेलर नहीं बना पाता था। इसलिए, मिस्टर त्रिपाठी ने भी उनसे कुर्ता बनवाने का सोचा। वो दर्जी कुछ सिल रहे थे, इसलिए मिस्टर त्रिपाठी को, कुछ देर इंतजार करने को बोला।
पास में, बेंच पर बैठे, वो काफी देर तक, उन बुजुर्ग दर्जी को देखते रहे। उनसे रहा नहीं गया, तो टेलर को पूछ लिया- आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सिलने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों? वो बुजुर्ग दर्जी कहते हैं- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है। काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है, परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है। इसलिए, मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं।”